A Simple Key For hanuman chalisa Unveiled
Between Hindus around the globe, It's a extremely popular belief that chanting the Chalisa invokes Hanuman's divine intervention in grave issues.lāyaLāyaBrought sanjīvaniSanjīvaniA life LakhanaLakhanaLakshman, brother of Lord Rama jiyāeJiyāeSaved / revived
नाली के कीड़े से ब्राह्मण कुमार तक - प्रेरक कहानी
Hanuman Chalisa is actually a timeless ode to devotion Lord Hanuman is recognized for his devotion to Lord Ram which is thought to be the embodiment of faith, surrender, and devotion.
व्याख्या – मैं अपने को देही न मानकर देह मान बैठा हूँ, इस कारण बुद्धिहीन हूँ और पाँचों प्रकार के क्लेश (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश) तथा षड्विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर) से संतप्त हूँ; अतः आप जैसे सामर्थ्यवान् ‘अतुलितबलधामम्‘ ‘ज्ञानिनामग्रगण्यम्‘ से बल, बुद्धि एवं विद्या की याचना करता हूँ तथा समस्त क्लेशों एवं विकारों से मुक्ति पाना चाहता हूँ।
भावार्थ – श्री गुरुदेव के चरण–कमलों की धूलि से अपने मनरूपी दर्पण को निर्मल करके मैं श्री रघुवर more info के उस सुन्दर यश का वर्णन करता हूँ जो चारों फल (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को प्रदान करने वाला है।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
भावार्थ – आपकी शरण में आये हुए भक्त को सभी सुख प्राप्त हो जाते हैं। आप जिस के रक्षक हैं उसे किसी भी व्यक्ति या वस्तु का भय नहीं रहता है।
व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा के पाठ की फलश्रुति इस तथा अगली चौपाई में बतलायी गयी है। संसार में किसी प्रकार के बन्धन से मुक्त होने के लिये प्रतिदिन सौ पाठ तथा दशांशरूप में ग्यारह पाठ, इस प्रकार एक सौ ग्यारह पाठ करना चाहिये। इससे व्यक्ति राघवेन्द्र प्रभु के सामीप्य का लाभ उठाकर अनन्त सुख प्राप्त करता है।
बुद्धिहीन तनु जानिकै सुमिरौं पवनकुमार।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥ जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
व्याख्या – सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार वज्र एवं ध्वजा का चिह्न सर्वसमर्थ महानुभाव एवं सर्वत्र विजय श्री प्राप्त करने वाले के हाथ में होता है और कन्धे पर मूँज का जनेऊ नैष्ठिक ब्रह्मचारी का लक्षण है। श्री हनुमान जी इन सभी लक्षणों से सम्पन्न हैं।
“Placing the ring of Lord Rama in the mouth, you jumped and flew around the Ocean to Lanka, there is no shock in that.”
भावार्थ – अनन्त काल से आप भगवान श्री राम के दास हैं। अत: रामनाम-रूपी रसायन (भवरोग की अमोघ औषधि) सदा आपके पास रहती है।